Last modified on 3 अगस्त 2009, at 18:17

चुनाव की समझ / ओमप्रकाश सारस्वत

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:17, 3 अगस्त 2009 का अवतरण

उसने 'वैराग्यशतक' देखा
और 'वृद्धेभ्य: समर्पितम्' कहकर
त्याग दिया

उसने 'नीतिशतक' देखा
और 'मूर्खेभ्य समर्पितम्' कहकर
रख दिया

किन्तु जब उसने
'श्रंगारशतक' देखा
तो झट 'इदम् अस्मभ्यम् समर्पितम्'
कह कर
'इदम अस्माकम्' कहते हुए
उसे चूम लिया

उसका नाम विरागी संत था