पुष्पदंत का जन्म दिल्ली के पास एक ब्राह्मण कुल में हुआ था। इनके माता-पिता ने जैन धर्म ग्रहण कर लिया था। इन्होंने मान्यखेट के राष्ट्रकूट राजा कृष्ण तृतीय (938-968 ई.) के मंत्री भरत के आश्रय में काव्य रचना की।
इनकी प्रसिध्द रचना 'महापुराण को जैन उसी आदर से देखते हैं, जैसे ब्राह्मण मतावलंबी महाभारत को। इसमें रामकथा का विस्तार है। पुष्पदंत की अन्य दो रचनाएँ हैं, 'जसहर चरिय (यशोधर चरित) तथा 'णायकुमार चरिय (नागकुमार चरित)। पुष्पदंत को अपभ्रंश का कालिदास मानते हैं।