Last modified on 12 अगस्त 2009, at 06:51

तू पीठ सीधी रख ओ लड़की / शार्दुला नोगजा

Shar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:51, 12 अगस्त 2009 का अवतरण

तू पीठ सीधी रख ओ लड़की
बस आज ये सिंगार कर ले,
स्टील, लोहा, सोना, चांदी
जो मिले, ले रीढ़ मढ़ ले!

तू पीठ सीधी . . .

आज तू काजल लगा ना
अपनी कलम स्याही से भर ले,
झूमर में हैं जो दो सितारे
कर यत्न, आँखों में उतर लें!

तू पीठ सीधी . . .

गूढ़तम जो प्रश्न होगा
लौटेगा अनुत्तरित समझ ले
ना रामशलाकाप्रश्नावली ये जीवन
तू जी इसे, उत्तरत कर ले!

तू पीठ सीधी रख ओ लड़की!

१० नवम्बर ०८