Last modified on 13 अगस्त 2009, at 10:08

नींद / नंदकिशोर आचार्य

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:08, 13 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=कवि का कोई घर नहीं होता ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नींद न आँखों में थी
न करवटों में-
कहीं दूर उस वीराने में थी :
कैसे यहाँ वह आती?

पर आँखें थीं जब यहाँ
नींद वहाँ भी
कैसे सो पाती?