Last modified on 16 अगस्त 2009, at 16:37

अगणित उडुगण-उज्ज्वल-अक्षर में व्योम भेजता संदेशा / प्रेम नारायण 'पंकिल'

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:37, 16 अगस्त 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अगणित उडुगण-उज्ज्वल-अक्षर में व्योम भेजता संदेशा।
मंथर मलयानिल कुछ कह जाता मिलन-निशा के सपने सा।
करता आमंत्रित अस्तंगत रवि राकापति सुषमाशाली।
मुख ले मृणाल कहता मराल कुछ मानस-सलिल-सुधा-पाली।
गम्भीर जलदगत चपल चंचला ने संदेश पठाया है।
चंचल समीर तन-नवल-चीर लहरा कुछ कहने आया है।
उर-पीर कहे किससे विकला बावरिया बरसाने वाली ।
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन-वन के वनमाली ॥87॥