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भयावह छाया / बाद्लेयर

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अति भयावनी, नंग-धड़ंगी, भुतही काया,
चिकट खोपड़ी-रंगरलियों की गंध गंधाया
मुकुट लगाए; चढ़कर बिन रकाब बिन कोड़ा
अंधाधुंध भगाता अड़ियल कट्टर घोड़ा;
(महा भयंकर टट्टू जो कि भविष्य भाखता
अपस्मारिणी डाकिन जैसा कठिन काँखता)
भीषण जोड़ा अन्तरिक्ष ज्यों नाप रहा है
वातावरण सनासन कैसा काँप रहा है;

बढ़े जा रहे- घुड़सवार तलवार भाँजता,
घोड़ खूँद से बचे उन्हें वह कठिन काटता;
राजकुँवर वह, राज देखने फैला निकला
क़ब्रग़ाह का निरख रहा अनछोर सिलसिला
जहाँ आदमी जब से इस धरती पर आया
राष्ट्र, जातियाँ सुलीं सूर्य की पियरी छाया।


अंग्रेज़ी से अनुवाद : रामबहादुर सिंह 'मुक्त'