किस्सा पुराना है
ऐतिहासिक है
नया है।
बाद क़त्लेआम
नादिरशाह दाख़िल हुआ दिल्ली किले में
महल की सारी बेगमों को
नंगा करवा दिया उसने
बैठ गया सिर झुका
अपनी नंगी तलवार किनारे रख
आँखें मूंद लीं
कुछ देर बाअ उसने आँखें खोलीं
और कहा
"मैं सोचता था तुममें से कोई
ज़रूर ही मेरा सिर धड़ से अलग कर देगा
मेरी ही तलवार से।’
मगर अफ़सोस
किसी ने ऐसा नहीं किया।