Last modified on 24 अगस्त 2009, at 17:31

करखाही हांडी जैसा /नचिकेता

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:31, 24 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नचिकेता }} {{KKCatNavgeet}} <poem> करखाही हांडी हैसा हम कोने मे...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

करखाही हांडी हैसा
हम कोने में धर दिए गए।
सींढ़ लगी कुठिला में
गेहूँ का
हर दाना बीझ गया
ज़्यादा मुँह आने के कारण
पूरा तालू
सीझ गया
नामिक ख़तरों के तिलस्म में
गायब हम कर दिए गए।
लहूलुहान सदी के
सिरहाने
फन काढ़े हैं गेहुँअन
पटेंटों की भेंट चढ़े
सावन, भादों, कातिक,अगहन
और मिलावट से
रोटी के सही स्वाद हर लिए गए।
सरपत की झलास में
घुसने के कारण है
भाँप लगी
तसले का ढक्कन
उघारने में
अदहन की भाप लगी
और फफोलों में
मिरचाई के चूरन भर दिए गए।