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अहेरी / उमाकांत मालवीय

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नोकीले तीर हैं अहेरी के कांटे खटिमट्ठी झरबेरी के टांग चली शोख तार तार हुआ पल्लू अंगिया पर बैरी सा भार हुआ पल्लू मीठे रस बैन गंडेरी के झरबेरी आंखों में झलकी बिलबौटी खनक उठी नस नस में काटती चिकौटी बाल बड़े जाल हैं मछेरी के चोख चुभन गोद गयी पोर पोर गुदना अंगुली पर नाच रहा एक अदद फुंदना चकफेरे छोड़ सातफेरी के