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दो (अश्वारोही) / सुदर्शन वशिष्ठ

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पीठ पर ढोता है घोड़ा
एक काठी
काठी पर तलवार केवल तलवार
तलवार पकड़े जो बैठा है।
बोझे से बढ़कर नहीं है उसके लिए।