कोयल के कानों में कह दी
कुछ बात रस भरी
सुधियों में फूल गई आम्र-मंजरी।
हरियाले पत्तों की पहने क़मीज़
अंग-अंग फूल रहे सृजन के बीज
तारों की दुनिया में
प्रियतम को छोड़
फुनगी पर बैठी है रात की परी।
सूरज ने चैता के डाकिए के हाथ
भेजी है प्यार की चटकिल सौगात
लज्जा के आँचल से
यौवन को ढाँप
धरती को देखती पसार अंजुरी
सुधियों में फूल गई आम्र-मंजरी।