- अभी मरना बहुत दुश्वार है ग़म की कशाकश से /नज़र लखनवी
- सुन लो कि मर्गे-महफ़िल कुछ मौतबर नहीं है /नज़र लखनवी
- कोई मुझ सा मुस्तहक़े-रहमो-ग़मख्वारी नहीं /नज़र लखनवी
- वो एक तुम कि सरापा बहारो-नाज़शे-गुल /नज़र लखनवी
- सोज़ाँ ग़मे-जावेद से दिल भी है जिगर भी/नज़र लखनवी
- मेरी सुरत देख कर क्यूँ तुमने ठंडी सांस ली /नज़र लखनवी
- सिवादे-शामे-ग़म से रूह थर्राती है क़ालिब में /नज़र लखनवी