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अंगूठा / एल० तोमसकुट्टी

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अंगूठे के साथ कटकर जो गिरा
वह दलितों का दल था।
सकपकाकर जो सिहरी वह ज्ञान-तृष्णा थी

माउस पर तर्जनी दबाते वक़्त
सीमा पार कर
वापस आ रहा है
एकलव्य

फिर भी पीछे है,
मूँछ पर ताव देकर
दक्षिणा के लिए मुँह ताकता
वह चालाक
द्रोण

ज़ेरी और टोम
छप्पर को जलाए बग़ैर...


अनुवाद : एम० एस० विश्वम्भरन