Last modified on 12 सितम्बर 2009, at 16:47

हत्यारे हाथ / अवतार एनगिल

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:47, 12 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=मनखान आएगा /अवतार एनगिल }} <poem>...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वे मुसाफिर
जिन्हें हत्यारे हाथों ने
गाड़ी रोककर
गोलियों से भन दिया
कल शाम घर नहीं पहंचे
अँगीठी के पास बैठी
ऊँघती एक बीवी
बनी ढेर राख़ का

बड़बड़ाती
प्रतीक्षा रत्त
द्वार खड़ी मां

बिस्तर पर चद्दर-सा-फैला
फिर-फिर खाँसता है
लक्वाग्रस्त पिता

ऐ हत्यारे हाथ
हत्या की राजनीति अपनाकर
तुमने राजनीति की हत्या कर दी

मेरे मुजरिम
हमारे मुजरिम
कहीं तुमने मुड़कर देखा होता
तो हम सबके लहु में लिथड़े हुए
उस युवक की खुली आँख में
तुम्हें कुछ अधूरी सपने भी ज़रूर दिखते
इधर :
माँ खी आँखों में
अंध-रत्ता है
बीवी की आँखों में
चिता का धुआँ है
एक बेटी
देहरी पर बैठी रोती है
क्या बात है
हत्यारे हाथों की शनाख़्त नहीं होती है?

मातम की इस घड़ी में
मेरा शब्द-कोश
ख़ाली हो गया है
और
लिखते-लिखते
आज मुझे
अपनी आँख से टपका शब्द
नही दिख रहा
मुझे कुछ नहीं दिख रहा।