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मनखान आएगा /अवतार एनगिल

मनखान आएगा
Mankhan aarga.jpg
रचनाकार अवतार एनगिल
प्रकाशक स.प्यारा सिंह

न्यू एज बुक सैंटर,अमृतसर।

वर्ष प्रथम संस्करण-1985
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
विधा
पृष्ठ 80
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

मनखान को
जो आया था
आता है
आएगा


जंगल बोला

सपने और सच

(मैं धूप हो गया हूँ)

देस दुःख

ऐ मेरे उदास सूरज
तुम्हारी धूप
लौटा लाएंगे हम
 

मनखान आएगा

मुझको तो आना है
 
फिर-फिर आना है


सहयोगः
         केशव
         मोहन निराश