सप्ताह की कविता | शीर्षक: दिल्ली होने से तो अच्छा है रचनाकार: विनय दुबे |
मैं पहाड़ देखता हूँ तो पहाड़ हो जाता हूँ पेड़ देखता हूँ तो पेड़ हो जाता हूँ नदी देखता हूँ तो नदी हो जाता हूँ आकाश देखता हूँ तो आकाश हो जाता हूँ दिल्ली की तरफ़ तो मैं भूलकर भी नहीं देखता हूँ दिल्ली होने से तो अच्छा है अपनी रूखी-सूखी खाकर यहीं भोपाल में पड़ा रहूँ