कल रात फिर रोया आसमान
कि क्यों बादलों ने चेहरे पर सियाही पोत दी!
सितारे काजल की कोठरी में बैठे बिलखते रहे
नसीब में इतना अन्धेरा बदा था!
हवा शेार मचाती रही
पेड़ सिर धुनते रहे
धरती का दामन भीगता रहा
किसको फ़र्क पड़ा
बादल गरजते रहे
अट्टाहास करते रहे
उन्हें मालूम था
मौसम उनका है।