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चार अशआ़र / यगाना चंगेज़ी

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कीमया-ए-दिल क्या है, खा़क है, मगर कैसी?

लीजिये तो मँहंगी है, बेचिये तो सस्ती है॥


खिज्रे-मंज़िल अपना हूँ, अपनी राह चलता हूँ।

मेरे हाल पर दुनिया क्या समझ कर हँसती है॥


बन्दा वो बन्दा जो दम न मारे।

प्यासा खड़ा हो दरिया किनारे॥


शबे-उम्मीद कट गई लेकिन--

ज़िन्दगी अपनी मुख़्तसिर न हुई॥