हवाओं के कागद पे लिख भेजी पाती
क्या तुम ने पढ़ी ?
न था कोई अक्षर, न स्याही के रंग
थी यादों की खुशबू पुरवा के संग
घटाओं की चुनरी में बाँधी जो कलियाँ
क्या तुमने चुनीं ?
न वीणा के सुर थे, न अधरों पे गीत
न पायल की रुनझुन, न कोकिल संगीत
सागर की लहरों ने छेड़ी जो सरगम
क्या तुमने सुनी ?
बीती दोपहरी की ठंडी सी छाँव
गुलनारी थोड़ी सी, थोड़ी सी श्याम
किरणों ने नभ पर उकेरे संदेसे
क्या तुमने लिखे?