कविता क्या है
मन की कल्पना
तन की अल्पना
प्रकृति के रंगों की रंजना
टेढे-मेढ़े पथरीले रस्तों पर चलता कोई अनमना
यही कवि का परिचय है
कविता क्या है
मन की कल्पना
तन की अल्पना
प्रकृति के रंगों की रंजना
टेढे-मेढ़े पथरीले रस्तों पर चलता कोई अनमना
यही कवि का परिचय है