Last modified on 20 सितम्बर 2009, at 00:06

विसर्जन / महादेवी वर्मा

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:06, 20 सितम्बर 2009 का अवतरण

निशा को, धो देता राकेश
चाँदनी में जब अलकें खोल,
कली से कहता था मधुमास
’बता दो मधुमदिरा का मोल’;

भटक जाता था पागल बात
धूल में तुहिन कणों के हार;
सिखाने जीवन का संगीत
तभी तुम आये थे इस पार।