Last modified on 22 सितम्बर 2009, at 21:08

तुम्हारी याद / नंद भारद्वाज

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:08, 22 सितम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आज फिर आई तुम्हारी याद
तुम फिर याद में आई-
आकर कौंध गई चारों तरफ़
समूचे ताल में !

रात भर होती रही बारिश
रह-रह कर हुमकता रहा आसमान
तुम्हारे होने का अहसास -
कहीं आस-पास
भीगती रही देहरी आंगन-द्वार
मन तिरता-डूबता रहा
तुम्हारी याद में !