सैयद अनवर हुसैन ‘आरज़ू’ के पूर्वज औरंगज़ेब के शासनकाल में हिरात से भारत आये और अजमेर में रहने लगे। १८ फ़रवरी १८७२ ई. में ‘आरज़ू" का जन्म लखनऊ में हुआ। अरबी-फ़ारसी की शिक्षा आपने ५ बरस की उम्र से प्राप्त की। आपके पिता मीर ज़ाकिर हुसैन ‘यास’ और बड़े भाई यूसुफ़ हुसैन ‘क़यास’ अच्छे शायरों में गिने जाते थे।
१३ वर्ष की आयु में ‘आरजू’ को ‘जलाल’ की शागिर्दी में भेज दिया गया। सब से पहले एक मुशायरे में जो ग़ज़ल ‘आरज़ू’ ने पढी़, उसके दो शे’र इस प्रकार थे-
हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम की अंजुमन में नहीं। जभी तो दर्द का पहलू किसी सुख़न में नहीं॥
शहीदे-नाज़ की महशर में दे गवाही कौन? कोई सहू का भी धब्बा मेरे कफ़न में नहीं॥
‘आरजू’ के तीन संकलन प्रकाशित हो चुके हैं - फ़ुग़ाने आरज़ू, जहाने ‘आरजू’, और सुरीली बाँसुरी।