Last modified on 12 अक्टूबर 2009, at 16:36

तुम्हारी याद को / निशांत

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:36, 12 अक्टूबर 2009 का अवतरण ("तुम्हारी याद को / निशांत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पत्थरों के बीच
मैंने तुम्हारे संगीत को सुना
हड्डियों के कड़कड़ाके टूटने की गन्ध
और बारिश से भीगे पत्थर
लम्बे-लम्बे घास
जिसमें छिपे हम और
हवा में घुलता हुआ रागों का एक उद्दाम संगीत

नज़रों से छिपते हुए
पत्थरों के बीच
पहली बार मैंने तुम्हें चूमा
अभी भी स्मृतियों में कौंधता है तुम्हारा गुस्सैल
चेहरा
मेरा तीन दिन का बुख़ार
फिर कमरे में
नमक से भीगी हुई तुम्हारी पलकें

तुम्हारी उस सखी को धन्यवाद
जो अब मेरी बहन है
और तुम मेरी सबसे अच्छी प्रेमिका

कैसे भूल पाते हैं लोग- पहला प्यार।
पहला चुम्बन!
शायद नहीं भूलते लोग
जब-जब कहते हैं- "मैं भूल चुका हूँ"
पहला प्यार पहला चुम्बन...
उसी में छिपा रहता है वह आदिम जानवर
एक छलांग लगाते हुए मार जाता है हमें
मैं मर कर भी जी जाता हूँ
नहीं भूल पाता
पहला प्यार?
पहला चुम्बन
और पहला...