Last modified on 19 अक्टूबर 2009, at 18:42

गाती हुई हाथों में ये सिंगर की मशीन / जाँ निसार अख़्तर

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:42, 19 अक्टूबर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

गाती हुई हाथों में ये सिंगर की मशीन
क़तरों से पसीने के सराबोर जबीन

मसरूफ़ किसी काम में देखूँ जो तुझे
तू और भी मुझको नज़र आती है हसीन