Last modified on 20 अक्टूबर 2009, at 07:11

जबतें कुबर कान्ह रावरी / देव

Rajeevnhpc102 (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:11, 20 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देव }}<poem>जबतें कुबर कान्ह रावरी कलानिधान कान परी …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जबतें कुबर कान्ह रावरी कलानिधान कान परी वाके कहूँ सुजस कहानी सी।
तबहीं तें देव देखौ देवता सी हँसति सी खीझति सी रीझत सी रूसति रिसानी सी।
छोही सी छलि सी छीड़ लीनी सी छकी सी छीन जकी सी टकी सी लगी थकी थहरानी सी।
बीधी सी बँधी सी विष बूड़ी सी विमोहति सी बैठी वह बकति बिलोकति बिकानी सी॥