Last modified on 28 अक्टूबर 2009, at 09:49

नख़रेदार / अशोक चक्रधर

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:49, 28 अक्टूबर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भूख लगी है
चलो, कहीं कुछ खाएं ।

देखता रहा उसको
खाते हुए लगती है कैसी,

देखती रही मुझको
खाते हुए लगता हूँ कैसा ।

नख़रेदार पानी पिया
नख़रेदार सिगरेट
ढाई घंटे बैठ वहाँ
बाहर निकल आए ।