Last modified on 31 अक्टूबर 2009, at 23:42

तूत के अंगार / अग्निशेखर

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:42, 31 अक्टूबर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब कविताएँ वजह बनीं
मेरे निष्कासन की
मैंने और ज़्यादा प्यार किया
                   जोख़िम से
अवसाद और विद्रोह के लम्हों में
मैंने मारी आग में छलांग
और जिया
शायर होने की क़ीमत अदा करते हुए

मुझ तक आने के रास्ते में बिछे हैं
तूत के दहकते अंगार
कौन आता नंगे पाँव
मेरी वेदना के पास