Last modified on 2 नवम्बर 2009, at 00:08

सोन-मछली / अज्ञेय

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:08, 2 नवम्बर 2009 का अवतरण

हम निहारते रूप
काँच के पीछे
हाँप रही है, मछली ।

रूप तृषा भी
(और काँच के पीछे)
हे जिजीविषा ।