Last modified on 3 नवम्बर 2009, at 22:13

आगन्तुक / अज्ञेय

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:13, 3 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आँख ने देखा पर वाणी ने बखाना नहीं।
भावना ने छुआ पर मन ने पहचाना नहीं।
राह मैनें बहुत दिन देखी, तुम उस पर से आए भी, गए भी,
--कदाचित, कई बार--
पर हुआ घर आना नहीं।

डार्टिंगटन हाल, टौटनेस
१८ अगस्त १९५५