आँख ने देखा पर वाणी ने बखाना नहीं।
भावना ने छुआ पर मन ने पहचाना नहीं।
राह मैनें बहुत दिन देखी, तुम उस पर से आए भी, गए भी,
--कदाचित, कई बार--
पर हुआ घर आना नहीं।
डार्टिंगटन हाल, टौटनेस
१८ अगस्त १९५५
आँख ने देखा पर वाणी ने बखाना नहीं।
भावना ने छुआ पर मन ने पहचाना नहीं।
राह मैनें बहुत दिन देखी, तुम उस पर से आए भी, गए भी,
--कदाचित, कई बार--
पर हुआ घर आना नहीं।
डार्टिंगटन हाल, टौटनेस
१८ अगस्त १९५५