Last modified on 4 नवम्बर 2009, at 19:03

किराएदार / अनवर ईरज

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:03, 4 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ये आलीशान मकान
जिसके हाते में
रंग-बिरंग के फूल खिले हैं
ये कभी हमारा था
और हम इसके मालिक हुआ करते थे
लेकिन
अब हम इसके मालिक नहीं
हिस्सेदार भी नहीं
किराएदार हो गए हैं
पचपन साल नौ महीने सत्ताईस दिन से
हम अपने ही मकान में
किराएदार की हैसियत से
रहते चले आ रहे हैं
मकान का
ये ख़ुद-साख़्ता मालिक
बार-बार हमें
निकाल देने की धमकियाँ दे रहा है