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रुक जाओ / अभिज्ञात

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तीरगी का है सफ़र रुक जाओ
बोले अनबोले हैं डर रुक जाओ

तुम्हारे पास वक़्त कम हो तो
ले लो तुम मेरी उमर रुक जाओ

हर ओर दुकाने ही दुकानें हैं
कोई मिल जाए जो घर रुक जाओ

जश्न में उस तरफ़ क्यों बिखरें हैं
किसी नन्हे परिंदे के पर रुक जाओ