कभी बिखरा के सँवारा तो करो
मुझपे एहसान गवारा तो करो
जिसकी सीढ़ी से कभी गिर के मरूँ
ऐसी मंज़िल का इशारा तो करो
मैं कहाँ डूब गया ये छोड़ो
तुम बहरहाल किनारा तो करो
हमको दिल से नही कोई मतलब
तुम ज़रा हँस के उजाला तो करो
कभी बिखरा के सँवारा तो करो
मुझपे एहसान गवारा तो करो
जिसकी सीढ़ी से कभी गिर के मरूँ
ऐसी मंज़िल का इशारा तो करो
मैं कहाँ डूब गया ये छोड़ो
तुम बहरहाल किनारा तो करो
हमको दिल से नही कोई मतलब
तुम ज़रा हँस के उजाला तो करो