Last modified on 5 नवम्बर 2009, at 13:07

ईर्ष्या / अरुण कमल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:07, 5 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सचमुच विश्वजीत
मुझे तुम्हारा यह ऎश ट्रे बहुत पसन्द है
बिल्कुल पापी के फूल की तरह
खिल रहा है तुम्हारे टेबुल पर
सचमुच

कल न्यूट्रन बम गिरेगा
हम तुम सब मर जाएँगे
सब कुछ नष्ट हो जाएगा
फिर भी इस टेबुल पर इसी तरह चमकता रहेगा
शान से यह ऎश ट्रे

आज मुझे
इस ऎश ट्रे से ईर्ष्या हो रही है
मुझे ईर्ष्या हो रही है ।