जिसने खो दी आँखें वह भी एक बार
झाड़ता है अपनी किताबें
बादल गरजते हैं उसके लिए भी
जो सुन नहीं सकता
जो चल नहीं सकता उसके सिरहाने भी
रखा है एटलस
जिससे कभी किसी ने साँस नहीं बदली
उसे भी इंतज़ार है शाम का ।
जिसने खो दी आँखें वह भी एक बार
झाड़ता है अपनी किताबें
बादल गरजते हैं उसके लिए भी
जो सुन नहीं सकता
जो चल नहीं सकता उसके सिरहाने भी
रखा है एटलस
जिससे कभी किसी ने साँस नहीं बदली
उसे भी इंतज़ार है शाम का ।