वो पहला ख़त
अभी भी रखा है
सन्दूक में सम्भाल कर
तुम्हारी अंगुलियों की
छुअन के साथ
जिसकी अन्तिम पंक्ति में
लिखा है तुमने
मेरा नाम...
वो पहला ख़त
अभी भी रखा है
सन्दूक में सम्भाल कर
तुम्हारी अंगुलियों की
छुअन के साथ
जिसकी अन्तिम पंक्ति में
लिखा है तुमने
मेरा नाम...