Last modified on 6 नवम्बर 2009, at 02:06

कुछ लोग / जया जादवानी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:06, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बहुत सट कर बैठो फिर भी
उठकर चले ही जाते हैं कुछ लोग
मंज़िल आने से पहले
यूँ अभी भी कसके पकड़ा हुआ है हाथ
यूँ अभी भी जगहें
दिखती हैं भरी हुईं।