Last modified on 6 नवम्बर 2009, at 07:29

नज़्म / अली सरदार जाफ़री

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:29, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण (एक नज़म / अली सरदार जाफ़री का नाम बदलकर एक ननज़म ज़म / अली सरदार जाफ़री कर दिया गया है: सही शब्द "नज़)

एक नज़्म

जो आस्माँ पे चमकता है वो क़मर है कुछ और
जिसे हम अपना कहें वो क़मर ज़मीं पे है
वो जिसके हुस्न से रौशन जबीं सितारों की
वो जिसके हुस्न से रंगीनियाँ बहारों की
वो हुस्न फूल में, ज़र्रे में, आफ़ताब में है
वो हुस्न हर्फ़ में, नग़्में में है, किताब में है
वो हुस्न शोले में, शबनम में है, शराब में है
वो हुस्न जिससे है तस्वीरे-क़ाइनात में रंग