Last modified on 6 नवम्बर 2009, at 23:28

ख़त-दो / अवतार एनगिल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अरी ओ, नटखट लड़की!
चाहे जब चली आना
इस लम्पट पुरुष के
गले लग जाना

जब-जब तुम
प्रेयसी बन आओगी
इस प्रेमी को
अपना ही सपना
देखते हुए पाओगी

जब आना
बिना बताये
अपनों से कैसी औपचारिकता?