Last modified on 6 दिसम्बर 2006, at 17:55

पूजा-गीत / सोहनलाल द्विवेदी

अंतरिक्ष (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 17:55, 6 दिसम्बर 2006 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
रचना संदर्भरचनाकार:  सोहनलाल द्विवेदी
पुस्तक:  प्रकाशक:  
वर्ष:  पृष्ठ संख्या:  

वंदना के इन स्वरों मे,
एक स्वर मेरा मिला लो।

बंदिनी माँ को न भूलो,
राग में जब मत्त झूलो;

अर्चना के रत्नकण में,
एक कण मेरा मिला लो।

जब हृदय का तार बोले,
श्रृंखला के बंद खोले;

हो जहाँ बलि शीश अगणित,
एक शिर मेरा मिला लो।