Last modified on 9 नवम्बर 2009, at 02:24

जंगली चींटियां /अवतार एनगिल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:24, 9 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कल
मेरी बगिया का नींबू
बारीक भूरी चींटियों से लद गया
देखती रह गई
मुँह बाए
कीड़ेमार दवा
रोयेंदार ज़मीन पर
भागती
भागती रहीं
बारीक-बारीक चींटियाँ
मुँह में दबाए
सफेद फूलों के टुक़ड़े

और आज
झाँकते हैं
काले अंधियारे छेद
सफेद रेशमी फूलों के नन्हें महकीले जिस्मों से

सीधे हाथ से
बायाँ कन्धा दबाये
खड़ा हूँ सर झुकाये भूरी चींटियों के सर पर
फूलों के ताज़ हैं
हम जहाँ कल थे
वहीं आज हैं।