Last modified on 9 नवम्बर 2009, at 19:44

नई सुबह / इला कुमार

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:44, 9 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वृक्षों की नर्म पत्तियों के किनारे से
शरमा कर मुस्कराकर झांकती है एक किरण

नए सूरज की चमकीली लहर
निराशा के क्षणों को धीमें से पोंछकर
मिटा देती है
नए विश्वास से भरे सूरज
आओ
मेरी पलकों पर चमकती बूंदों को समेट
मुझे सपनीली किरणों से भर दो