Last modified on 10 नवम्बर 2009, at 23:41

मेरी बारी / उदय प्रकाश

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:41, 10 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पाँच साल से
मरे हुए दोस्त को
चिट्ठी डाली आज

जवाब आयेगा
एक दिन

कभी भी

सीढ़ी, शोर,
टेबिल, टेलिफ़ोन से भरे
भवन की
किसी भी एक
मेज़ पर
मरा हुआ

मैं उसे पढ़ते हुए
हँसूँगा

कि लो,
आख़िर मैं भी !