Last modified on 13 नवम्बर 2009, at 20:52

इस दिल के दे के लूँ दो जहाँ, ये कभू न हो / सौदा

अजय यादव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:52, 13 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सौदा }} <poem> इस दिल के दे के लूँ दो जहाँ, ये कभू न हो स…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इस दिल के दे के लूँ दो जहाँ, ये कभू न हो
सौदा तो होवे तब न कि जब इसमें तू न हो
आईना-ए-वज़ूद-ओ-अदम में अगर तिरा
रू दरमियाँ न हो तो कहीं हमको रू न हो
झगड़ा तो हुस्नो-इश्क़ का चुकता है पल के बीच
गर महकमे में क़ाजी के तू रूबरू न हो
गुल की न तुख़्म मुर्गे-चमन कर सके तलाश
हम ख़ाम-फ़ितरतों से तिरी जुस्तजू न हो