रावरे नेह को लाज तजी अरु, गेह के काम सबै बिसरायो।
डारि दयो गुरु लोगन कौ डर, गाँव-चवाईं में नाम धरायो।।
हेतु कियो हम जेतो कहा, तुम तौ 'मतिराम' सब बिसरायो।
कोउ कितेक उपाय करौ, कहुँ होत है आपनो पीउ परायो।।
मतिराम का यह दुर्लभ छन्द श्री सुरेश सलिल के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।