समय की रेतघड़ी में
मोह की बारिश खो गई कहीं
हर घर में पसर गया मौन
छा गया अंधेरा
मेरा राम तुम्हारा रहीम
दोनों गुनहगार हो गए।
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा
समय की रेतघड़ी में
मोह की बारिश खो गई कहीं
हर घर में पसर गया मौन
छा गया अंधेरा
मेरा राम तुम्हारा रहीम
दोनों गुनहगार हो गए।
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा