Last modified on 16 नवम्बर 2009, at 21:24

मशवरा / परवीन शाकिर

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:24, 16 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परवीन शाकिर |संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नन्ही लड़की
साहिल के इतने नज़दीक
रेत से अपने घर न बना
कोई सरकश मौज इधर आई तो
तेरे घर की बुनियादें तक बह जाएँगी
और फिर उनकी याद में तू
सारी उम्र उदास रहेगी