Last modified on 17 नवम्बर 2009, at 21:04

जान-पहचान / परवीन शाकिर

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:04, 17 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परवीन शाकिर |संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शोर मचाती मौज-ए-आब
साहिल से टकरा के जब वापस लौटी तो
पाँव के नीचे जमी हुई चमकीली सुनहरी रेत
अचानक सरक गई
कुछ-कुछ गहरे पानी में
खड़ी हुई लड़की ने सोचा
ये लम्हा कितना जाना-पहचाना लगता है