Last modified on 19 नवम्बर 2009, at 02:01

स्त्री-1 / जया जादवानी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:01, 19 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तहखानों में तहखाने
सुरंगों में सुरंगें
ये देह भी अजब ताबूत है
ढूंढ़ लेती हूँ जब ऊपर आने के रास्ते
ये फिर वापस खींच लेती है