तरस रहा है मन फूलों की नयी गन्ध पाने को
खिली धूप में, खुली हवा में, गाने-मुसकाने को
तुम अपने जिस तिमिरपाश में मुझको क़ैद किए हो
वह बन्धन ही उकसाता है बाहर आ जाने को
शब्दार्थ :
तिमिरपाश = अंधेरे का बंधन
तरस रहा है मन फूलों की नयी गन्ध पाने को
खिली धूप में, खुली हवा में, गाने-मुसकाने को
तुम अपने जिस तिमिरपाश में मुझको क़ैद किए हो
वह बन्धन ही उकसाता है बाहर आ जाने को
शब्दार्थ :
तिमिरपाश = अंधेरे का बंधन